दिमाग को ऐसे रखें हेल्दी, डॉक्टरों ने बताया है ये तरीका

सेहतराग टीम

हमारे शरीर के सभी अंग बेहद जरूरी होते हैं। लेकिन मस्तिष्क या दिमाग हमारे शरीर का मुख्य अंग माना जाता है। क्योंकि अगर हमारा मस्तिष्क या दिमाग (Brain) स्वस्थ नहीं है तो हम कोई काम सही नहीं कर पाएंगे। इसलिए दिमाग की सेहत को सही रखना और उसका पर ध्यान देना काफी आवश्यक है। ऐसे में हम अपने दिमाग को शार्प और हेल्दी कैसे बनाएं ये लोगों के लिए बड़ा सवाल है। तो आइए जानते हैं कि दिमाग (Brain) को कैसे फिट (Fit) और तंदुरूस्त (Active) बनाएं।

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दिमाग को हेल्दी कैसे रखें (Tips to Make Brain Healthy in Hindi):

अपने विचारों पर नियंत्रण रखें

भागदौड़ और तनावभरी जिंदगी में अपने दिमाग को शांत रखना बहुत मुश्किलभरा काम है। लेकिन मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने के लिए यह बहुत जरूरी भी है। दिमाग को शांत रखने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप खुद को चिंता और तनाव से दूर रखें। इस कार्य में ध्यान यानी मेडिटेशन और एक्सर्साइज आपकी मदद कर सकती है। अगर इससे मदद ना मिले तो सायकाइट्रिस्ट से जरूर संपर्क करें।

शरीर में हल्कापन रखें

हेल्दी और ऐक्टिव ब्रेन के लिए जरूरी है कि शरीर में भी हल्कापन बना रहे। यानी आप अपना खान-पान इस तरह का रखें कि आपको भरपूर एनर्जी मिले लेकिन पेट में भारीपन ना हो। इसके लिए जरूरी है कि मौसम के हिसाब से कैसी डायट लेनी चाहिए, इस बारे में अपनी नॉलेज बढ़ाएं।

फाइबर डायट ले

गट बैक्टीरिया खासतौर पर फाइबर डायट को डायजेस्ट करने के बाद SCFA का उत्पादन करते हैं। इसलिए स्वस्थ दिमाग और सेहतमंद पेट दोनों के लिए ही फाइबर डायट बेहद जरूरी है। साथ ही इसे खाने के बाद पेट देर तक भरा हुआ रहता है तो बढ़ते वजन को भी नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

सोशल दायरा बढ़ाएं

ब्रेन को फिट रखना है तो इमोशंस को कंट्रोल रखना और खुश महसूस करना बेहद जरूरी है। इसलिए दोस्त बनाएं, परिवार के साथ वक्त बिताएं और अपने रिश्तेदारों से मेल-जोल रखें। ऐसा करने से हम भावनात्मक रूप से खुद को सबल महसूस करते हैं। यह अनदेखी और अनजानी ताकत हमें दिमागी तौर पर मजबूत रखने का प्रयास करती है।

दिल की बीमारी से दिमाग को खतरा

  • दिल से संबंधी बीमारियों का खतरा जिन लोगों में अधिक होता है, उनका दिमाग भी उनकी बीमारी के लक्षणों से और बाद में बीमारी से प्रभावित होता है।
  • कार्डियोवस्कुलर डिजीज के मरीजों के ब्रेन और सामान्य व्यक्ति के ब्रेन में क्या अंतर होता है, इस बारे में कई वैज्ञानिक शोधों में यह बात साबित हो चुकी है कि जिन लोगों को दिल से संबंधी बीमारी होती है, उनके दिमाग में ग्रे मैटर का एरिया सामान्य लोगों की तुलना में काफी कम होता है।
  • ग्रे मैटर हमारे ब्रेन का वह हिस्सा होता है, जिसमें बड़ी संख्या में न्यूरॉन्स रहते हैं। ये न्यूरॉन्स ही हमारे दिमाग के आदेश या सिग्नल्स को शरीर के दूसरे अंगों तक भेजने का काम करते हैं।

दिल की बीमारी का दिमाग पर असर

कई शोध में यह बात सामने आ चुकी है कि दिल की बीमारी से जूझ रहे लोगों के दिमाग की सोचने की क्षमता और निर्णय क्षमता दोनों प्रभावित होती हैं। यानी दिल की बीमारी का दिमाग पर बुरा असर होता है। क्योंकि दिल के मरीजों में अक्सर यह देखने को मिलता है कि उनकी सोचने की क्षमता काफी (थिकिंग स्किल्स) धीमी हो जाती है। जो हालत अधिक बिगड़ने पर अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी यादाश्त से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकती है।

इसे अनदेखा नहीं कर सकते

हमारे यंगस्टर्स को लगता है कि ब्रेन का जितना अधिक उपयोग कर सको करते रहो, यह जरूरी भी है। लेकिन अगर आप अपने दिमाग की कार्यक्षमता बढ़ाना चाहते हैं और यादाश्त को भी मजबूत रखना चाहते हैं तो जरूरी है कि आप हर दिन 8 घंटे की नींद जरूर लें।

डिजिटल डिटॉक्स

हैरान ना हों डिजिटल डिटॉक्स का मतलब है इडियट बॉक्स यानी आपके टीवी और अनवॉन्टेड बॉस यानी आपके मोबाइल से कुछ समय का ब्रेक लेना। ऐसा करके तो देखिए, मानसिक रूप से बहुत शांत और हल्का महसूस करेंगे। दरअसल, इन इलेक्ट्रॉनिक गैजट्स में हमारा ब्रेन इतना अधिक उलझ जाता है कि हमें खुद अपनी बॉडी की भी खबर नहीं रहती। ऐसे में हम अपने आपसे ही एक दूरी का अहसास करते हैं। यह अहसास हमारे मन में अकेलेपन के भाव को बढ़ाता है। एक हेल्दी ब्रेन के लिए जरूरी है कि अकेलेपन को खुद पर हावी ना होने दिया जाए। यह कई तरीकों से हमारे अंदर डिप्रेशन बढ़ाने का काम करता है।

गट बैक्टीरिया का रोल

अगर हमारे डायजेस्टिव सिस्टम को दुरुस्त रखनेवाले गट बैक्टीरिया हमारे पाचनतंत्र में सही मात्रा में होते हैं तब ये जरूरी मात्रा में कुछ ऐसे कैमिकल प्रड्यूस करते हैं, जो हमारे ब्रेन की कार्यक्षमता को सही रखने में मदद करते हैं। जैसे, गट बैक्टीरिया शॉर्ट-चेन फैटी एसिड (SCFA) प्रड्यूस करते हैं। यही SCFA हमारे ब्रेन को भूख कंट्रोल करने में मदद करते हैं।

बार-बार बीमार पड़ने से बचें

कुछ लोगों को यह जानकर हैरानी हो सकती है लेकिन अगर हम जल्दी-जल्दी बीमार पड़ते हैं तो इससे हमारी शारीरिक सेहत के साथ ही मानसिक सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। क्योंकि बीमारी छोटी हो या बड़ी केवल शारीरिक तौर पर ही नहीं बल्कि मानसिक तौर पर भी हमें तोड़ने का काम करती है। हमारे ब्रेन की शार्पनेस, हमारी परफॉर्मेंस और प्रॉडक्टिविटी यानी कार्यक्षमता, सभी पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए ब्रेन को हेल्दी रखने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं। मौसमी फ्लू और बार-बार खांसी-जुकाम जैसी बीमारियां होना भी हमें मानसिक तौर पर कमजोर करता है।

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